Tuesday, July 23, 2013

क्या थे और क्या बन गये वो

दुनिया बदलने चले है कर कर ट्वीट वो,
जिन्होने कभी मुहल्ले में आवाज़ नहीं उठाई |

दूर मुल्कों में स्पोर्ट्स कार चला रहे हैं फरररर से वो,
जो बचपन में थे इस्कूल से घर पैदल आए |

आज वेस्टर्न क्लॉज़ेट के सिंघासन पर अँग्रेज़ी न्यूज़पेपर पढ़ रहे है वो,
जिन्होने थे कभी वेस्टर्न लाइन के पटरियों पर माल बिठाए |

अपने कंठ पर डिज़ाइनर लंगोट बाँध काम पर चले हैं वो,
जिन्होने थी कभी कूल्हे पे देसी लंगोट चढ़ाई |

थॅंक्स गिविंग और हालोवीन मानने चले है वो,
जिन्होने लड़कपन में थी मुहल्ले की गटर में होली मनाई |

आज बॉस बनकर बैठे हैं उन लोगों पर वो,
जिन्होने थी उन पर बरसो राज चलाई |

अपने मा-बाप को गांव छोड़,  दूर बस गये वो,
जिन्हे कभी उनकी लोरियों के बिना नींद नहीं आई |

सुना है आज घर में बर्तन मांझ रहे है वो,

जिन्होने कभी रसोई में अपने मां के हाथ नहीं बटाये |

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