दुनिया बदलने चले है कर कर ट्वीट वो,
जिन्होने कभी मुहल्ले में आवाज़ नहीं उठाई
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दूर मुल्कों में स्पोर्ट्स कार चला रहे हैं
फरररर से वो,
जो बचपन में थे इस्कूल से घर पैदल आए |
आज वेस्टर्न क्लॉज़ेट के सिंघासन पर अँग्रेज़ी
न्यूज़पेपर पढ़ रहे है वो,
जिन्होने थे कभी वेस्टर्न लाइन के पटरियों
पर माल बिठाए |
अपने कंठ पर डिज़ाइनर लंगोट बाँध काम पर
चले हैं वो,
जिन्होने थी कभी कूल्हे पे देसी लंगोट चढ़ाई
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थॅंक्स गिविंग और हालोवीन मानने चले है वो,
जिन्होने लड़कपन में थी मुहल्ले की गटर में
होली मनाई |
आज बॉस बनकर बैठे हैं उन लोगों पर वो,
जिन्होने थी उन पर बरसो राज चलाई |
अपने मा-बाप को गांव छोड़, दूर बस गये वो,
जिन्हे कभी उनकी लोरियों के बिना नींद नहीं
आई |
सुना है आज घर में बर्तन मांझ रहे है वो,
जिन्होने कभी रसोई में अपने मां के हाथ नहीं
बटाये |
Good effort bhai...keep it up.
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